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मुंबई में नवजात बच्चों को खरीदने और बेचने के रैकेट का खुलासा हुआ , डॉक्टर, नर्स समेत नौ गिरफ्तार

  मुंबई:  क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो नवजात शिशुओं को बेचने और खरीदने का काम करते थे. इस मामले में पुलिस ने 9 लोगो...

 


मुंबई: क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो नवजात शिशुओं को बेचने और खरीदने का काम करते थे. इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 7 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं. गिरफ्तार आरोपियों में से एक डॉक्टर, एक नर्स तो एक लैब टेक्नीशियन भी हैं.


क्राइम ब्रांच की यूनिट एक के अधिकारी योगेश चव्हान ने बताया कि कैसे ये गिरोह बच्चों के जन्मदाताओं से बच्चों को 60 हजार रुपये से डेढ़ लाख रुपये तक में खरीदता था और फिर इसे ढाई लाख से साढ़े तीन लाख रुपये तक में उन जोड़ों को बेच देता था, जो बच्चों के लिए तरस रहे होते हैं.

गिरफ्तार आरोपियों के नाम रुपाली वर्मा (30), निशा अहिरे (38), गुलशन खान (34), गीतांजलि गायकवाड़ (38)(यह एक अस्पताल में नर्स है), आरती सिंह (29) (यह एक अस्पताल में लैब टेक्नीशियन है) और धनंजय बोगे (58) (यह एक बीएचएमएस डॉक्टर है, जिनका लोवर परेल में क्लिनिक है) हैं. पुलिस ने तीन आरोपियों के नाम गुप्त रखे हैं, क्योंकि उनमें से दो आरोपी बच्चों के जन्मदाता हैं, तो एक आरोपी जिसने बच्चे को खरीदा है और उसका पालन पोषण कर रहा है.


कैसे हुआ खुलासा?
चव्हान ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि बांद्रा के खेरवाड़ी इलाके में कुछ लोगों ने बच्चे बेचे हैं तो किसी ने बिकवाने में मदद की है, जिसके बाद हमने वहां ट्रैप लगाकर तीन लोगों को हिरासत में लिया और पूछताछ की. पूछताछ में इस पूरे गिरोह के बारे में जानकारी मिली.


यह गिरोह कैसे काम करता था?
पुलिस की माने तो गिरफ्तार डॉक्टर, नर्स और लैब टेक्नीशियन इस गिरोह के मुख्य सदस्य हैं. ये ऐसे लोगों का पता लगाते थे जो लंबे वक्त से बच्चे की चाहत में होते थे, लेकिन उन्हें बच्चा नहीं हो रहा होता था. इसके अलावा ये ऐसे लोगों का भी पता लगाते थे, जिन्हें बच्चा हुआ है, लेकिन वो उसे पालने में समर्थ नहीं हैं. इन बातों का पता लगाने के बाद ये इसकी जानकारी अपने गिरोह के दलालों को देते थे और फिर दलाल दोनों ही जोड़ों को बच्चा बेचने और खरीदने के लिए मनाना शुरू कर देते थे.


ये दलाल बच्चे के लिए परेशान जोड़ों से ढाई लाख से तीन लाख रुपये की मांग करते थे और जिसे बच्चा पैदा हुआ है, उसे बच्चा बेचने के बदले 60 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक का ऑफर देते थे और बची हुई रकम ये लोग आपस में काम के आधार पर बांट लेते थे. प्राथमिक जांच में तीन बच्चों का पता क्राइम ब्रांच ने लगा लिया है, जिन्हें अवैध रूप से इस गिरोह के माध्यम से खरीदा गया था.


जांच में पता चला कि ये गिरोह पिछले 6 साल से इस काम को कर रहा था और अकेले गीतांजलि जो कि नर्स है, उसमे 6 बच्चों को अब तक बिकवाया. पुलिस ने सभी गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं और उसे फ़ॉरेंसिक लैब भेजा है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इन लोगों ने अबतक कितने बच्चों की इसी तरह से डीलिंग की है.


बच्चों के साथ क्या होता था?
क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो इस गिरोह के झांसे में वही जोड़े आए जो लोग संतान प्राप्ति के लिए सालों से हर वो काम जैसे कि दवा, पूजा कर रहे थे, पर संतान सुख पाने में विफल हो जा रहे थे. एक अधिकारी ने बताया कि वे लोग इन बच्चों को इतने प्यार से पाल रहे थे मानों उन्हीं की कोख से जन्में हो. एक परिवार की तीन पीढ़ियों में कभी लड़की पैदा नहीं हुई थी, जिसके बाद उन लोगों ने इस गिरोह की मदद से लड़की खरीदी और उसे बड़े ही नाज़ों पाला करते थे और उसकी हर मांग पूरी करते थे, जो कि शायद इनके असली माता पिता भी नहीं कर पाते. पुलिस ने एक मामले में ये भी पाया कि एक परिवार ने अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर बच्चा खरीदा और उसे हर वक्त सीने से लगाए रखते हैं.


बच्चा गोद लेने के लिए क्या है लीगल रास्ता?
केन्द्र सरकार ने बच्चा गोद लेने को लेकर एक सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी यानी कि CARA नाम की संस्था गठित की है, जो कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है. यह संस्था नोडल बॉडी की तरह काम करती है, जिसके माध्यम से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन का काम किया जाता है.

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