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भारत में कम मिलने वाली तितलियों में से एक जोकर तितली के 8 महीने के रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ में मिले

  छत्तीसगढ नैसर्गिक सुंदरता और प्राकृतिक संसाधनों विशेष कर वन संपदा से आच्छादित होने के लिए प्रसिद्ध है ही अब वन्य जीवों की विविधता से भी पर...

 


छत्तीसगढ नैसर्गिक सुंदरता और प्राकृतिक संसाधनों विशेष कर वन संपदा से आच्छादित होने के लिए प्रसिद्ध है ही अब वन्य जीवों की विविधता से भी परिपूर्ण होने के लिए भी साबित होगा। इसी प्रकार शोधकर्ता अविनाश मौर्य जो की वन्यजीव विशेषज्ञ होने के साथ साथ छत्तीसगढ़ में काई सालो से वन्यजीव संरक्षण कर रहे हैं।उन्होने चरोदा (दुर्ग-जिला) में 24 अप्रैल 2021 को एक जोकर नाम की तितली रिकॉर्ड की जो की छत्तीसगढ़ में पहला रिकॉर्ड सबित हुआ...अविनाश ने बताया की पिछले अप्रेल से वो उस तितली के शोध में लगे हुए हैं...

 जैसा की अविनाश मौर्य ने बताया की ये तितली सितंबर माह तक मिलन करने के बाद अंडे देता है..अविनाश बताए कि सितंबर से देखते हुए पिछले माह उन्हे 6 अक्टूबर 2021को जोकर तितली के कैटरपिलर(लार्वा) मिले ... और उसी दिन जोकर तितली के नए होस्ट प्लांट(मेंजबान पौधे) के बारे में जानकारी प्राप्त हुई क्योंकि पौधा भी ऐसा जिसमे कई खुबियां हैं और इन खुबियो के साथ वो पौधा मेडिकल (दवा) के रूप में भी कामगर है ..., जिसे तितली के कैटरपिलर(लार्वा) पत्ते को खा रहे ,और अपनी अलग दुनिया जी रहे ।


जो की छत्तीसगढ़ के लिए अब तक का नया पौधे का भी रिकॉर्ड है...इससे पहले 2011 में मध्य प्रदेश में यह पौधा रिकॉर्ड हुआ था..अविनाश ने ये भी बताया की नवंबर तक उन्हें हर आकार के साथ अलग दिन के और अलग-अलग मौसम में उसी तितली के लार्वा के फोटोग्राफ मिले ये भी की छत्तीसगढ़ के लिए अलग रिकॉर्ड है

इसी तरह उन्होंने बताया की जिस अक्टूबर-नवंबर महीने में कैटरपिलर मिले उसी महीने तितली को भी उड़ते हुए देखा गया,तो इसी तरह अविनाश ने बताया की अब तक इस तितली को उड़ते हुए देखना 8 महीनों तक ये छत्तीसगढ़ राज्य के लिए इस तितली का अलग रिकॉर्ड हैं... 

अपना छत्तीसगढ़ 9वां राज्य बना इस तितली के मिलने पर अविनाश को ये तितली छग मुख्यमंत्री के आवास स्थल चरोदा के रेल्वे क्षेत्र में मिली , अविनाश के साथ इस शोध में ‌वहा के लोग आशिष ,टोमन और साईं और अन्य लोगों ने भी साथ दिया। 

अविनाश ने बताया की यह भारत में कम मिलने वाली तितलियों में से एक है, इसलिए छत्तीसगढ़ में इसके संरक्षण में हमें बहुत काम करने की आवश्यकता है.

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