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जांजगीर-चांपा : सामाजिक संगठन ने महिला के सामाजिक बहिष्कार से किया इंकार : दो प्रकरणों में पत्नी और बच्चे के भरण पोषण के निर्देश तथा महिला बच्चों से भी मिल सकेगी

  राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने सदस्य सुश्री शशिकांता राठौर एवं  अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में...

 


राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने सदस्य सुश्री शशिकांता राठौर एवं  अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में 25 प्रकरणों की सुनवाई की। महिला आयोग के समक्ष जिले में महिला उत्पीड़न से संबंधित 25 प्रकरण सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया गया। जिनमें से 13 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गये।  

एक प्रकरण में ग्राम खरौद की महिला ने सामाजिक बहिष्कार की शिकायत की थी। आयोग की अध्यक्ष द्वारा समाज के सदस्यों को समझाने पर उन्होंने यह माना कि महिला का सामाजिक बहिष्कार ना कभी हुआ था, ना किया गया था। अध्यक्ष ने कहा कि समाजिक बहिष्कार अपराध है। समाज में जागरुकता आ गई है। किसी भी व्यक्ति को समाजिक बहिष्कार कर प्रताड़ित नही किया जा सकता है। डॉ नायक ने महिला का सामाजिक सदस्यों के साथ फोटो प्रकाशित करवाने के भी निर्देश दिए, ताकि भविष्य में महिला को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो। महिला को भविष्य में किसी भी प्रकार के समाजिक बहिष्कार से संबंधित समस्या होने पर न्यायालय जाने की स्वतंत्रता देते हुए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

2 प्रकरणों में भरण पोषण के निर्देश -

डभरा क्षेत्र की एक महिला ने दहेज प्रताड़ना के प्रकरण में शिकायत दर्ज कर बताया कि वह अपने एक बच्चे के साथ  पति से अलग रह रही है। आयोग द्वारा समझाइस देने पर उनके पति ने पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण के लिए 7000 रुपए प्रतिमाह देने के लिए सहमत हुए। यह राशि आवेदिका के बैंक खाते में भुगतान होने पर अगली सुनवाई में प्रकरण नस्तीबद्ध करने की निर्देश दिए। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में पति-पत्नी विवाद से संबंधित मामले में आयोग की समझाइश पर पति ने पत्नी के भरण पोषण के लिए 5000 रूपये प्रतिमाह देने के लिए राजी हो गए तथा दादा-दादी के पास रह रहे बच्चों से माह में दो बार मिलने की अनुमति आवेदिका को दी गयी।

 एक प्रकरण में निलंबित महिला सैनिक द्वारा प्रस्तुत शिकायत पर सुनवाई में दोनों पक्षों को सुना गया। आयोग की अध्यक्ष ने निलंबन बहाली के संबंध में आवेदिका को पत्र लिखने का सुझाव दिया। आवेदिका ने न्यायालय के समक्ष प्रकरण दर्ज करने की बात कही। इस पर आयोग के अध्यक्ष ने प्रकरण नस्तीबद्ध करने के निर्देश दिए। ग्राम कोसा की एक महिला ने थाना मुलमुला में झूठी शिकायत दर्ज करने के संबंध में आवेदन दिया था। आयोग की अध्यक्ष ने साक्ष्य एवं गवाहों के विस्तृत विश्लेषण के लिए न्यायालय को सक्षम मानते हुए प्रकरण नस्तीबद्ध करने के निर्देश दिए। ग्राम मुड़पार की महिला की प्रताड़ना की शिकायत पर  आयोग की अध्यक्ष ने थाना प्रभारी सारागांव को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। एक आवेदिका द्वारा स्वेच्छा से शिकायत वापस लेने पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। इसी प्रकार पति-पत्नी विवाद से संबंधित एक अन्य प्रकरण में थाना में एफ आई आर दर्ज होने के कारण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने पिता के मृत्यु उपरांत अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में आवेदन दिया था। दोनों पक्षों के सुनने के उपरांत आयोग की अध्यक्ष ने प्रकरण नस्तीबद्ध करने का निर्देश दिया।  अध्यक्ष ने बताया कि आवेदिका के पिता प्रशिक्षण उपरांत सेवा में  नियुक्त नहीं हुए थे। विभागीय अधिकारी ने जानकारी दी कि संबंधित व्यक्ति का सर्विस रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इस पर अध्यक्ष ने अनुकंपा नियुक्ति का औचित्य समाप्त हो जाने पर प्रकरण नस्तीबद्ध करने का निर्देश दिया।


मीडिया से चर्चा -


     आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि महिलाओं की जागरुकता के लिए मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ की शुरवात सभी जिलो में की जा रही है। पीड़ित महिलाओं के सहयोग के लिए सभी जिलों से दो-दो अधिवक्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए जिले में उपलब्ध डीएमएफ मद का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि महिलाओं को सशक्त बनाने एवं आत्मरक्षा के लिए मार्शलआर्ट का भी प्रशिक्षण प्रारंभ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि  विगत एक वर्ष में 1475 प्रकरणों की सुनवाई की गई है। इनमें से 400 से अधिक प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है।

इस अवसर पर एसडीम जांजगीर, एसडीओपी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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