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निर्दोष फार्मासिस्ट और विद्यार्थियों के भविष्य से हो रहा अन्याय — स्टेट फार्मेसी काउंसिल अपनी गलती छुपाने में व्यस्त– सोशल एक्टिविस्ट योगेश साहू

  रायपुर:छत्तीसगढ़ राज्य में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें फार्मासिस्ट अभिषेक चंदा के साथ घोर अन्याय हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार...

 


रायपुर:छत्तीसगढ़ राज्य में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें फार्मासिस्ट अभिषेक चंदा के साथ घोर अन्याय हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ दलालों और बिचौलियों द्वारा पैसे लेकर फर्जी रूप से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में उनका नाम सम्मिलित किया गया।


जब यह मामला प्रकाश में आया, तो स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने बिना निष्पक्ष जांच किए उनका रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। यह निर्णय न केवल एक गरीब और मेहनती विद्यार्थी के भविष्य पर प्रहार है, बल्कि पूरी काउंसिल की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।


सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि —


काउंसिल की प्रणाली में हुई इस गड़बड़ी की जिम्मेदारी कौन लेगा?


क्या कोई जांच होगी कि किसने पैसे लेकर कितने फर्जी रजिस्ट्रेशन कराया?


निर्दोष विद्यार्थियों और फार्मासिस्टों को क्यों सज़ा दी जा रही है, जबकि गलती सिस्टम और संबंधित अधिकारियों की है?



ऐसा प्रतीत होता है कि काउंसिल अपनी लापरवाही और भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए निर्दोष युवाओं पर कार्रवाई कर रही है। यह न केवल अन्याय है, बल्कि भविष्य के स्वास्थ्य सेवा तंत्र की विश्वसनीयता पर भी गहरा आघात है।



हमारी प्रमुख मांगें:


1. अभिषेक चंदा सहित सभी निर्दोष विद्यार्थियों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।



2. असली दोषियों — दलालों, बिचौलियों और संबंधित अधिकारियों — पर कठोर कार्रवाई की जाए।



3. निर्दोष विद्यार्थियों और फार्मासिस्टों का रद्द रजिस्ट्रेशन पुनः बहाल किया जाए।



4. फार्मेसी काउंसिल की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल, पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों।


यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सैकड़ों मेहनती विद्यार्थियों और फार्मासिस्टों के भविष्य का प्रश्न है।

हम सभी संबंधित अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि इस विषय में शीघ्र न्यायिक जांच कराई जाए और निर्दोषों को न्याय दिलाया जाए।


एक गरीब और ईमानदार फार्मासिस्ट अपने परिवार का पालन-पोषण बड़ी कठिनाइयों से कर रहा है। ऐसे में काउंसिल के गैर-जिम्मेदाराना निर्णय से उसके जीवनयापन पर गहरा असर पड़ा है।

यदि दोष काउंसिल के भीतर के व्यक्तियों का है, तो उन पर कार्रवाई होना ही न्याय का सच्चा रूप होगा।


योगेश साहू

फार्मासिस्ट, स्टूडेंट्स एक्टिविस्ट

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