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झींगा पालन के लिए सुकमा के 5 गांव चिन्हांकित

सुकमा। सुकमा जिला अपनी जैव विविधता और भौगोलिक परिस्थितियों लिए राज्य के साथ साथ संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है। सुकमा जिला अब न केवल परंपरागत ख...


सुकमा। सुकमा जिला अपनी जैव विविधता और भौगोलिक परिस्थितियों लिए राज्य के साथ साथ संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है। सुकमा जिला अब न केवल परंपरागत खेती तक सीमित है वरन नई समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाते हुए प्रगति की ओर अग्रसर है। यहां के ग्रामीण अंचल में छोटे बड़े तालाब बहुतायत में उपलब्ध हैं और उनमें किसान मछली पालकर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र, सुकमा द्वारा किसानों को निरंतर तकनीकी जानकारी प्रदान की जा रही है। 

इसी प्रयास को जारी रखते हुए कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने विगत दिनों कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा का भ्रमण किया था और संस्था के मछली पालन विशेषज्ञ डॉ संजय सिंह राठौर और मछली पालन विभाग के डीएल कश्यप को मछली और झींगा पालन के लिए किसानों को विशेष प्रशिक्षण देने और जागरूक करने के निर्देश दिए थे। इसी तारतम्य में सुकमा विकास खंड के पांच ग्राम पंचायतों भेलवापाल, झापरा, गोंगला, मूर्तोंडा एवं गादीरास के सभी आश्रित गांवों के चालीस तालाबों का भ्रमण किया गया एवं झींगा पालन के लिए उपयुक्त तालाबों को चिन्हांकित किया गया। आगामी दिनों में कृषि विज्ञान केंद्र मे स्थित मछली पालन इकाई के साथ साथ डॉ राठौर की निगरानी में जिले के मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर झींगा मछली पालन किया जायेगा। कलेक्टर ध्रुव के मार्गदर्शन में मछली पालन के क्षेत्र में यह एक अद्वितीय पहल है और इससे सुकमा के किसान झींगा मछली पालन कर अत्यधिक लाभान्वित होंगें।

झींगा मीठे जल में पाए जाने वाला एक जलीय जीव है और नदियों में यह ब्रीडिंग के समय थोड़ी अधिक लवणता वाले जल की ओर प्रवास करता है। यह सर्वाहारी होता है और प्लवक, जलीय सूक्ष्म जीव, छोटे कीटों और मृत जलीय जीवों के अवशेष इत्यादि इनका प्राकृतिक भोजन है।

झींगा प्रोटीन और शरीर के लिए आवश्यक वसा का अच्छा स्त्रोत है। इसे खाने से दिमाग का विकास तेजी से होता है एवं हृदय स्वस्थ रहता है। झींगा खाकर कुपोषण की समस्या से भी निपटा जा सकता है।


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