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मनरेगा से बूँद-बूँद संचित हुआ भविष्य: सूरजपुर के गांवों में जल संरचनाओं ने दिखाई राह

  रायपुर, 05 जून 2025 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत सूरजपुर जिले के भैयाथान जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचाय...

 


रायपुर, 05 जून 2025 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत सूरजपुर जिले के भैयाथान जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत खाड़ापारा, कंवरा एड भवराही में मनरेगा योजना के तहत जल संरक्षण, सिचाई सुविधा विस्तार और आजीविका सुदृढीकरण हेतु क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं। ग्रामीणों की आवश्यकताओं और स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन एवं पंचायतों के समन्यय से विभिन्न जल संरचनाओं का निर्माण किया गया, जिससे न केवल जल संकट पर काबू पाया गया, बल्कि कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिली।

ग्राम पंचायत खाडापारा में अम्बर के खेत के पास नाले पर मिट्टी बांध निर्माण कार्य मनरेगा के तहत किया गया, जिससे लगभग 5 एकड अतिरिक्त भूमि सिंचित होने लगी है। पूर्व में वर्षा पर निर्भर किसानों को अय रबी सीजन में भी सरसों, गेहूं व सब्जियों की खेती का अवसर मिला है, जिससे 30 से अधिक किसान लगभग 20 से 25 हजार रुपये की अतिरिक्त वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं। यह मिट्टी बाध न केवल सिचाई सुविधा उपलब्ध करा रहा है, बल्कि भूजल स्तर में सुधार और मिट्टी के कटाव को भी रोकने में सहायक सिद्ध हो रहा है।

वहीं ग्राम पंचायत केंवरा के कोदुमुड़ा नाले में मिट्टी के चेक डेम का निर्माण एक सामुदायिक पहल के रूप में सामने आया है। यह सरचना वर्षा जल को संग्रहीत कर अपवाह को नियंत्रित करती है और भूजल को पुनर्भरण प्रदान करती है. जिससे स्थानीय किसानों को साल भर सिंचाई जल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। इससे खेती की उत्पादकता में इजाफा हुआ है. पशुधन पालन में सुधार आया है तथा परिवारों की आय में स्थायित्व आया है। चेक डैम ने ग्रामीणों को जलवायु अनिश्चितता के खिलाफ मजबूत लचीलापन प्रदान किया है।

इसी क्रम में ग्राम पंचायत भवराही में रामाधार/रामसरन के खेत में मनरेगा के तहत खेत तालाब (डबरी)का निर्माण किया गया, जिससे वर्षा जल का संचयन कर किसानों को समय पर सिंचाई सुविधा मिलने लगी है। निर्माण से पूर्व रामाधार वर्षा पर पूर्णतः निर्भर थे और कम उत्पादन के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। डबरी निर्माण के बाद उन्होंने धान के साथ-साथ मक्का, जेठी धान एवं सब्जी की खेती शुरू की, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। साथ ही मछली पालन जैसे वैकल्पिक कृषि कार्यों की संभावनाएं भी साकार हो रही है।

इन तीनों कार्यों ने मिलकर न केवल जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ अर्जित की हैं. बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन, कृषि विकास और सतत आजीविका सुनिश्चित कर मनरेगा की प्रभावशीलता को सिद्ध किया है। जनपद भैयाथान की ये जल संरचनाएँ ग्रामीण विकास की एक सफल मॉडल के रूप में उभर कर सामने आई हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संसाधनों की सुरक्षा के साथ एक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।




















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