कवर्धा। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर जिले में बाल विवाह की संभावनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा विशेष सतर्कता बरती जा रही है। महिला एवं...
कवर्धा। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर जिले में बाल विवाह की संभावनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा विशेष सतर्कता बरती जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग, विशेष किशोर पुलिस इकाई और जिला बाल संरक्षण इकाई के समन्वय से जिले भर में सभी विवाह आयोजनों पर कड़ी निगरानी की जा रही है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद तिवारी ने बताया कि बाल विवाह की आशंका को देखते हुए पंचायत, जनपद व जिला स्तर पर सक्रिय निगरानी दल बनाए गए हैं। इन टीमों को जिला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर के नेतृत्व में दो अतिरिक्त दलों में विभाजित कर ड्यूटी पर लगाया गया है। इनमें संरक्षण अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, आउटरिच वर्कर और विधिक सलाहकार शामिल हैं जो अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार भ्रमण कर रहे हैं।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह प्रतिबंधित है। इस कानून का उल्लंघन करने पर दो वर्ष तक का कठोर कारावास या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि एक कानूनी अपराध भी है।
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