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किसान दिवस सह प्राकृतिक खेती - गौ आधारित खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

  बेमेतरा। कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा में   सोमवार को भगवान बलराम जयंती के  अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा, रेवेन्द्र, सिंह वर्मा ...

 


बेमेतरा। कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा में   सोमवार को भगवान बलराम जयंती के  अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा, रेवेन्द्र, सिंह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया,बेमेतरा तथा कृषि विभाग बेमेतरा के संयुक्त तत्वाधान में किसान दिवस सह प्राकृतिक खेती - गौ आधारित खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. संदीप भंडारकर, अधिष्ठाता, रेवेन्द्र सिंह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया, बेमेतरा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। खेदूराम बंजारे, खूबचंद बघेल किसान सम्मान से सम्मानित कृषक, नंदकिशोर वर्मा जी, सरपंच प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत झाल एवं डॉ. श्याम लाल साहू, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी,वि.खं. बेमेतरा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरूआत में छत्तीसगढ़ महतारी एवं भगवान श्री बलराम जी के साथ पारंपरिक और उन्नत कृषि यंत्रों का अतिथियों के द्वारा पूजा अर्चना के साथ हुई। कार्यकम के उद्देश्य के बारे में बताते हुए तोषण कुमार ठाकुर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा ने बताया कि जिस प्रकार परंपरागत खेती के द्वारा पहले के किसान परिवार रसायन मुक्त अनाज का उत्पादन व उपभोग करके अधिक स्वस्थ रहते थे उसी प्रकार प्राकृतिक खेती-गौ आधारित खेती स्वस्थ जीवन व टिकाउ खेती का आधार है।     

खेती में कम लागत और अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए बाजार आधारित आदान सामग्री के उपयोग को क्रमशः सीमित करना होगा और फसल में खरपतवार, कीट एवं रोग के नियंत्रण व पोषक तत्व प्रबंधन के लिए प्राकृतिक रूप से उलब्ध संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना पड़ेगा।

डॉ. संदीप भंडारकर ने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि पहले परंपरागत किस्मों में कीट-रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती थी इसलिए खेती में रसायनों का उपयोग सीमित रूप से किया जाता था। किंतु वर्तमान में प्रचलित किस्मों में कीट रोग का प्रकोप अधिक होता है इसलिए समय के साथ फसलों में रसायनों का उपयोग बढ़ता चला गया। इसलिए खेती में फसलों की उन्नत किसमों का चुनाव हो या उन्नत तकनीक व आदान सामग्री का उपयोग, किसानों को टिाकउ एवं सुरक्षित खेती करने के लिए उपलब्ध तकनीकों का चयन व उपयोग उसके गुणधर्म के आधार पर बड़े ही सुझबुझ के साथ साथ करना चाहिए।

कार्यकम के तकनीकी सत्र के दौरान खेदूराम बंजारे एवं मोहित साहू जी, जो कि जैविक खेती व प्राकृतिक खेती करने वाले प्रगतिशील कृषक भी है अपना-अपना अनुभव साझा किया एवं उपस्थित किसानों को जैविक खेती प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रेरीत भी किया। इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा के मार्गदर्शन में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में कार्य करने वाले चयनित 5 प्रगतिशील कृषकों को उत्कृष्ठ कृषक सम्मान के लिए प्रशस्ती प्रत्र प्रदान किया गया। तदोपरांत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मुख्यालय में आयोजित समानांतर कार्यक्रम में कृषि मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी का किसानों के नाम उद्बोधन का सीधा प्रसारण वर्चुअल माध्यम से केवीके बेमेतरा में उपलब्ध किसानों को दिखाया गया।

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