नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 78वीं सालगिरह पर लाल किले से अपने भाषण में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया। इस दौरान उन्हो...
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 78वीं सालगिरह पर लाल किले से अपने भाषण में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है। मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए।
यूसीसी मुद्दे पर एनडीए के सहयोगी दल एकमत नहीं
वहीं, इस मुद्दे पुर अब एनडीए के ही सहयोगी दल एकमत नहीं है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी का बयान सामने आया है। पार्टी ने कहा कि वह अपने रुख को अंतिम रूप देने से पहले इसका मसौदा सामने आने का इंतजार करेगी। वहीं, उसकी दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा कि पार्टी ऐसे किसी भी सुधार का समर्थन करती है।
यूसीसी पर टीडीपी ने क्या कहा?
जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि धार्मिक समूहों और राज्यों सहित सभी हितधारकों से बात करके आम सहमति बनाने के बाद ही इस पर जोर दिया जाना चाहिए। तेदेपा संसदीय दल के प्रमुख लावू श्रीकृष्ण देवरायलु ने कहा कि उनकी पार्टी यूसीसी पर अपना रुख स्पष्ट करने से पहले समान नागरिक संहिता से जुड़े प्रस्ताव के मसौदे का इंतजार करेगी।
यूसीसी पर मसौदे का इंतजार करेगी पार्टी: चिराग पासवान
पार्टी की एक अन्य सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी इस बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में देश भर में सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधताओं को रेखांकित करते हुए आश्चर्य जताया था कि सभी को एक छतरी के नीचे कैसे लाया जा सकता है। पिछले महीने उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी कोई रुख अपनाने से पहले समान नागरिक संहिता पर मसौदे का इंतजार करेगी।
जदयू ने क्या कहा?
त्यागी ने अपनी बात रखने के लिए जद(यू) अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 2017 में विधि आयोग को दी गई जानकारी का हवाला दिया। मालूम हो कि नीतीश कुमार ने कहा था कि विभिन्न धार्मिक समूहों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सहमति प्राप्त किए बिना समान नागरिक संहिता लागू करने का कोई भी प्रयास सामाजिक टकराव का कारण बन सकता है और धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी में विश्वास का क्षरण हो सकता है।
एक राष्ट्र, एक चुनाव पर एकमत
वहीं, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के प्रस्ताव पर राजग के सहयोगी दल एकमत दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की पुरजोर वकालत की थी। त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर भाजपा से पूरी तरह सहमत है। जद (यू) और लोजपा (रामविलास) दोनों ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति के समक्ष 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा को अपना समर्थन दिया था।
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