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मुख्यमंत्री की योजनाओं का सकारात्मक परिणाम धरातल पर आ रहा है नजर

  गोधन न्याय योजना शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं है, जिसने गांवों की दशा बदल दी है। गांवों में महिलाएं स्वावलंबी बन आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल प...

 


गोधन न्याय योजना शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं है, जिसने गांवों की दशा बदल दी है। गांवों में महिलाएं स्वावलंबी बन आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं। ग्रामीणों को अपने गांव में रोजगार मिलने से उनके आय में वृध्दि के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। योजनाओं का सकारात्मक परिणाम धरातल पर नज़र आ रहा है कि किसान परिवारों के साथ पशुपालक परिवार भी सशक्त हो रहे हैं। पशुपालकों के आय में बढ़ोतरी हुई है साथ ही स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। पशु उत्पाद के जरिए स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोमूत्र खरीदकर इसी गोमूत्र से ब्रह्मास्त्र व जीवामृत जैव कीटनाशक तैयार कर रही है। गौमूत्र खरीदी के प्रारंभ होने से दोहरा लाभ मिलने लगा है। पशुपालक पहले गौठान में केवल गोबर बेचकर आय अर्जित करते थे लेकिन अब गोमूत्र बेचने से उनकी आय दोगुनी हो गई है। साथ ही गौमूत्र से बने उत्पाद अच्छे दामों में बेच समूह की दीदियां अतिरिक्त आय अर्जित कर रही है। राज्य शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत जिले के विकासखंड रामचंद्रपुर एवं राजपुर के तामेश्वरनगर, गोपालपुर, मदनेश्वरपुर के गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाओ द्वारा जुलाई 2022 से 4 रूपए प्रति लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है।

इससे महिलाएं कृषि कार्य में उपयोग के लिए ब्रम्हास्त्र (कीट नियंत्रक),जीवमृत( वृद्धिवर्धक) का निर्माण कर ही हैं तथा निर्मित ब्रम्हास्त्र को 50 रूपये प्रति लीटर, जीवमृत को 40 रूपये प्रति लीटर की दर पर विक्रय कर रही हैं। महिलाओं ने अब तक कुल 13 हजार 655 लीटर की गौमूत्र खरीदी कर पशुपालक किसानो को 54 हजार 620 रुपये की राशि का भुगतान किया गया। गौमूत्र खरीदी कर महिलाओ ने 5 हजार 461 लीटर ब्रह्मस्त्र का विक्रय कर 02 लाख 18 हज़ार 440 रूपये एवं 2 हजा 950 लीटर के जीवामृत का विक्रय कर 01 लाख 47 हज़ार 500 रूपए की राशि महिला स्व-सहायता समूह ने अर्जित की। जिससे गौठानों में कार्य कर रहीं महिला स्व-सहायता समूह को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रहा है। गौठान के जरिए महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को स्वरोजगार प्राप्त होने से आज ग्रामीण महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही है।

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