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मुख्यमंत्री 20 जनवरी को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 8 करोड़ 3 लाख रूपए का करेंगे भुगतान

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल 20 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के राशि अंतरण के लिए आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम ...



मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल 20 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के

राशि अंतरण के लिए आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से

जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 8 करोड़ 3 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन

जारी करेंगे, जिसमें 01 जनवरी से 15 जनवरी 2023 तक गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों,

किसानों, भूमिहीनों से क्रय 2.13 लाख क्विंटल गोबर के एवज में 4 करोड़ 27 लाख रूपए,

गौठान समितियों को 2.23 करोड़ रूपए और महिला समूहों को 1.53

करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल हैं।

यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी के एवज में विक्रेताओं को

‘अंतरित की जाने वाली 4.27 करोड़ रूपए की राशि में से मात्र 1.75 करोड़ की राशि कृषि

विभाग द्वारा तथा 2.52 करोड़ रूपए का भुगतान स्वावलंबी गौठानों द्वारा किया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य में अब तक 4690 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की जमा

पूंजी से गोबर क्रय करने लगे हैं। स्वावलंबी गौठानों द्वारा अब तक 37.71 करोड़ रूपए

का गोबर स्वयं की राशि से क्रय कर भुगतान किया गया है।

गौठानों में बनने और बिकने लगा गोबर से बना प्राकृतिक पेंट

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य में पशुधन के संरक्षण और

संवर्धन के लिए स्थापित गौठान तेजी से ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में

विकसित होने लगे हैं। गौठानों में विविध आयमूलक गतिविधियों के संचालन

के साथ-साथ नवाचार के रूप में गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन भी शुरू हो गया है।

वर्तमान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 4 इकाईयां चालू हैं, जिनमें से रायपुर में

दो और दुर्ग तथा कांकेर जिले में एक-एक यूनिट संचालित है। इन 4 क्रियाशील यूनिटों के

माध्यम से अब तक 9709 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से

4854 लीटर प्राकृतिक पेंट के विक्रय से 11 लाख 19 हजार 903 रूपए की आय

अर्जित हुई है। राज्य के 28 जिलों के 38 चिन्हित गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट

बनाने की यूनिट स्थापना की कार्यवाही तेजी से पूरी की जा रही है। जनवरी माह के

अंत तक यह सभी यूनिटें गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन करने लगेंगी।


लाख 98 हजार 815 रूपए की आय हुई है।

गोबर से 27 लाख कम्पोस्ट खाद का उत्पादन

गौठानों में महिला समूहों द्वारा अब तक कुल 27 लाख एक हजार 630 क्विंटल से

अधिक कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। जिसमें 21 लाख 23 हजार 938

किवंटल वर्मी कम्पोस्ट, 5.42 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद शामिल है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 105 करोड़ 18 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,477 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 1,31,898 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत एवं प्राकृतिक पेंट सहित अन्य सामग्री का भी उत्पादन किया जा रहा है।

गोधन न्याय से 3 लाख 98 हजार से अधिक ग्रामीण पशुपालक लाभान्वित

राज्य में गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,921 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 9596 गौठान निर्मित एवं शेष गौठान निर्माणाधीन है। गोधन न्याय योजना से 3 लाख 98 हजार  166 ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

गौठानों में 15.68 लाख क्विंटल धान पैरा एकत्र

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अपील पर राज्य के किसानों द्वारा अपने गांवों के गौठानों को पैरादान किए जाने का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। राज्य के किसान भाई पैरा को खेतों में जलाने के बजाय उसे गौमाता के चारे के प्रबंध के लिए गौठान समितियों को दे रहे हैं। ऐसे किसान भाई जिनके पास पैरा परिवहन के लिए ट्रेक्टर या अन्य साधन उपलब्ध है, वह स्वयं धान कटाई के बाद पैरा गौठानों में पहुंचाकर इस पुनीत कार्य में सहभागिता निभा रहे हैं। गौठान समितियों द्वारा भी किसानों से दान में मिले पैरा का एकत्रीकरण कराकर गौठानों में लाया जा रहा है। गौठानों में अब तक 15 लाख 68 हजार क्विंटल पैरा गौमाता के चारे के लिए उपलब्ध है।

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