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नक्सलियों के खौफ से छोड़ना पड़ा था घर, अब सीएम बघेल ने दी नए घर की चाबी

  छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला जो नक्सलियों से पीड़ित रहता है. वहां के एक ऐसे नक्सल पीड़ित परिवार की कहानी आज हम आपको बता रहें हैं, जिसे सुन ...

 


छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला जो नक्सलियों से पीड़ित रहता है. वहां के एक ऐसे नक्सल पीड़ित परिवार की कहानी आज हम आपको बता रहें हैं, जिसे सुन आपका भी कलेजा पसीज जाएगा. जहां नक्सलियों के खौफ से एक मां ने अपने 6 साल के मासूम को पढ़ने के लिए आश्रम भेज दिया. मां बीते 15 सालों तक अपने बेटे से साप्ताहिक बाजार में मिलती रहती थी. उन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान आवासीय परिसर के घर की चाबी सौंपी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नक्सल पीड़ित एवं नक्सल घटनाओं में शहीद परिवारों के लिये दंतेवाड़ा के कारली में सर्व सुविधायुक्त 36 आवास निर्मित किये गये हैं. जिनमें से 30 आवास नक्सल पीड़ित परिवारों को आवंटित कर दिये गये हैं.



नक्सल पीड़ित परिवार ने बताई आपबीति

नक्सल पीड़ित रामनाथ मंडावी ने अपनी आपबीति बताते हुए कहा कि घर क्या होता है ये मुझे पता ही नहीं है, मैंने 21 साल की उम्र तक सिर्फ डर देखा है. डर की वजह से 6 साल की उम्र से मेरी मां ने घर आने ही नहीं दिया. साल 2005 मैं 6 साल का था जब नक्सलियों ने पूरा घर तबाह कर दिया. लूट का ऐसा तांडव मचाया कि घर से गाय, बकरी, कपड़े, बर्तन यहां तक कि नमक तक लूटकर ले गये. घर में सिर्फ दरवाजा और चार दीवारें ही बची रहीं अगले दिन हमारे पास पहनने को कपड़े तक नहीं थे. 


भाई की नक्सलियों ने कर दी हत्या

कुछ महीने बाद ही 26 फरवरी 2006 में महाशिवरात्रि थी. बड़े भाई मोहन मंडावी जो एसपीओ थे, तुलार गुफा से शिव जी के दर्शन कर लौट रहे थे. उन्हें नक्सलियों ने भरे बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी. डर की वजह से मुझे पढ़ाई के लिये 2007 में बालक आश्रम बारसूर, फिर भैरमगढ़ पोटाकेबिन इसके बाद मारडूम भेज दिया. अपनी दास्तां बताते हुये रामनाथ मंडावी की आंखों में आंसू आ जाते हैं. वे बताते हैं कि मैं जिंदा रहूं इसके लिये मां मुझे घर नहीं आने देती थी. जब भी दिल करता हम लोग बाजार में जाकर मिल लेते थे और लिपटकर खूब रोते थे. 


पिता की कर दी थी हत्या

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शासकीय आवास की चाबी पाने के बाद सीमा कर्मा बेहद खुश हैं. सीमा बताती हैं कि मैं और मां नक्सलियों द्वारा पिता की हत्या के बाद बेहद सदमें में रहे. मेरे पिता गोपनीय सैनिक थे. घटना वाली रात नक्सली दरवाजा तोड़कर घर में घुस आये और पिता को घसीटते हुये ले गये. हम लोग बहुत गिड़गिड़ाये लेकिन पिता को नहीं छोड़ा. अगले दिन पता चला कि नक्सलियों ने पिता की गला रेतकर हत्या कर दी है. इसके बाद नक्सली हमारे गांव वाले घर में पथराव करते रहे ताकि हम लोग दहशत से घर छोड़कर चले जायें.


मां ने मजदूरी कर हम तीनों भाई-बहन को पाला है. अभी घर 3 हजार रूपये घर का किराया देती हूं. अब शासकीय आवास मिल गया है, इससे बहुत राहत मिलेगी. सीमा ने बताया कि अभी अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर आरक्षक के पद पर ज्वाईन कर लिया है. अब नक्सलियों को खत्म करने का ही सपना है.



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