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नवा रायपुर नई राजधानी परियोजना के प्रभावित किसानों को मिला है सर्वाधिक मुआवजा

  नवा रायपुर राजधानी परियोजना के प्रभावित किसानों को दिया गया मुआवजा, आजीविका के प्रावधान अपने आप में राज्य में और देश में अलग उदाहरण हैं तथ...

 


नवा रायपुर राजधानी परियोजना के प्रभावित किसानों को दिया गया मुआवजा, आजीविका के प्रावधान अपने आप में राज्य में और देश में अलग उदाहरण हैं तथा प्रचलित प्रावधानों से अधिक है। शासन द्वारा पूर्ण संवेदना के साथ किसानों के पक्ष में एवं हित में निर्णय लिये हैं। उक्त बातंे कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने आज महानदी मंत्रालय भवन में किसान नेता राकेश टिकैत एवं अर्जुन बाल्यान की विशेष मौजूदगी में आयोजित नया रायपुर अटल नगर नई राजधानी परियोजना प्रभावित किसान कल्याण समिति के पदाधिकारी की बैठक में कही। बैठक में प्रवीण शिवकन्ह, युद्ध वीर सिंह, किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर, सचिव कामता रात्रे, कार्यकारी अध्यक्ष ललित यादव, प्रवक्ता गिरधर पटेल, कोषाध्यक्ष कुलेश बारले, लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, आनंद राम साहू, एनआरडीए के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, कलेक्टर रायपुर, पुलिस अधीक्षक उपस्थित थे। 



मंत्री रविन्द्र चौबे ने किसान कल्याण समिति के पदाधिकारी से चर्चा के दौरान कहा कि जिन किसानों ने सहमति से नवा रायपुर हेतु भूमि दी है, ऐसे किसानों को 15000 रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष तथा 750 रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष वृद्धि के साथ वार्षिकी राशि वर्ष 2012 से 2031 तक देने का निर्णय लिया गया है। वर्ष 2021 में यह राशि 21000 रूपये प्रति एकड़ के मान से भुगतान किया जा रहा है। अब तक 190 करोड़ रूपये का भुगतान वार्षिकी के रूप में किसानों को दिया गया। यह प्रावधान देश में अपने आप में एक अलग उदाहरण है। आंकलन करेंगे तो 20 वर्षाे में प्रति हेक्टर 7.95 लाख रूपये वार्षिकी के रूप में किसान को मिलेंगे। यदि इस राशि को मूल राशि में जोड़ा जाता है तो लगभग चार गुना मुआवजा राशि किसान को प्राप्त हो रही है। आपसी सहमति से जिन किसानों ने भूमि दी उन्हें अन्य स्थानों में भूमि क्रय के लिए स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी गई, जो कि भूमि मूल्य के 5 से 8 प्रतिशत होती थी। इसका आशय यह था कि किसान भूमिहीन न हो और उनके आजीविका का साधन बना रहे। इसमें कई किसानों ने इसका लाभ लेते हुए नवा रायपुर के लेयर 2 में एवं उसके बाहर भूमि क्रय की है। 


किसानों की आवश्यकता को देखते हुए उनके बाड़ी-ब्यारा को भू-अर्जन से मुक्त रखने का निर्णय लिया गया था तथा 1211 खातेदारों की 70 हेक्टेयर भूमि भू-अर्जन से मुक्त की गई थी। भू-अर्जन तथा आपसी सहमति के सभी किसानों के लिए दुकान, गुमटी, चबूतरा, आदि के आबंटन में 75 प्रतिशत का आरक्षण दिया हुआ है तथा उन्हें लागत मूल्य पर लॉटरी आधार से आबंटन किया जा रहा है।


नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण में आउटसोर्सिंग के माध्यम से समस्त रोजगारों में 60 प्रतिशत रोजगार प्रभावित ग्रामों के व्यक्तियों को दिये जाने का प्रावधान शासन ने किया है। इसके साथ-साथ ही पात्र हितग्राहियों को बी.एस.यू.पी. मकान, आबादी पट्टा वितरण, किया गया है। शेष हितग्राहियों को आवासीय भूमि वितरण की कार्यवाही की जा रही है।


बैठक में जानकारी दी गई कि नवा रायपुर बसाने के लिए 2006 के बाद तेजी से निर्णय लिये गये और इसमें भूमि कैसे प्राप्त करे, के संबंध में शासन ने एतिहासिक निर्णय लेते हुए कोर्ट केसेस, भू-अर्जन की तकनीकी प्रक्रिया, इसके पीछे न जाते हुए किसानों से सहमति के आधार पर भूमि क्रय करने की नीति बनाई गई। शासन के पास भू-अर्जन अधिनियम 1894 के अधीन गाईडलाईन मूल्य तथा 30 प्रतिशत अतिरिक्त राशि (सोलेशियम) देकर समस्त भूमि के भू-अर्जन का विकल्प था, किन्तु सहमति के आधार पर भूमि क्रय को महत्व दिया गया।


वर्ष 2007-08 की नवा रायपुर के ग्रामों की गाईडलाईन की दर को देखें तो सिंचित भूमि के लिए औसत 5.60 लाख प्रति हेक्टेयर तथा असिंचित के लिए औसत 4.20 लाख प्रति हेक्टेयर थी। भू-अर्जन में 30 प्रतिशत सोलेशियम अतिरिक्त मिलता अर्थात सिंचित भूमि के भू-अर्जन के मामले में 7.28 लाख प्रति हेक्टेयर एवं असिंचित भूमि के मामले में 5.46 लाख प्रति हेक्टेयर होती, अपितु शासन ने किसानों की सहमति के आधार पर नवा रायपुर बसाने का निर्णय लिया तथा आपसी सहमति से भूमि क्रय करने के लिए पुनर्वास योजना घोषित की। 


इस पुनर्वास योजना में वर्ष 2007 में इन ग्रामों में औसत गाईड लाईन दर सिंचित भूमि के लिए 5.60 लाख प्रति हेक्टेयर. एवं असिंचित भूमि के लिए 4.20 लाख प्रति हेक्टेयर थी, ग्रामवार दरें अलग थी, रोड के किनारे, रोड के अंदर दरें अलग थी, किन्तु बिना भेदभाव के शासन द्वारा आपसी सहमति के प्रकरण में 10 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर की दर निर्धारित की गई, जोकि गाईडलाईन मूल्य के लगभग दो गुना थी। इसके अतिरिक्त सिंचित भूमि हेतु एक लाख रूपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त राशि दी गई तथा ऐसे ग्राम जहां 75 प्रतिशत से अधिक भूमि का अधिग्रहण हो रहा है, वहां एक लाख रूपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त अनुग्रह राशि दी गई। इस प्रकार से 12 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा निर्धारण किया गया। इसी के साथ-साथ 3600 से 9000 वर्गफीट उद्यानिकी भू-खण्ड देने का प्रावधान किया गया तथा इसके साथ विकल्प दिया गया कि 2.75 लाख प्रति हेक्टेयर विशेष अनुग्रह राशि किसान ले सकता है। 6456 किसानों ने विशेष अनुग्रह राशि प्राप्त की।


सामान्य तौर पर न सिर्फ छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश में भू-अर्जन के प्रकरणों में गाईडलाईन दर के 30 प्रतिशत अतिरिक्त राशि दिये जाने का प्रावधान था, लेकिन नवा रायपुर के किसानों को उनकी सहमति के आधार पर गाईडलाईन से 2.5 से 3.00 गुना मुआवजा दिया गया जो कि सामान्य क्रय-विक्रय के आशय से अत्यधिक था। नवा रायपुर हेतु कुल 6053 हेक्टेयर निजी भूमि प्राप्त की गई जिसमें 6504 किसानों ने 4991 हेक्टेयर भूमि अपनी सहमति से शासन द्वारा दिये गये इस बहतरीन पैकेज के आधार पर शासन को दी अर्थात 82.5 प्रतिशत भूमि किसानों ने सहमति से दी है।


बैठक में जानकारी दी गई कि कुछ ऐसे भी किसान थे, जो जिन्होंने प्राधिकरण को भूमि सहमति के आधार पर नहीं दी। ऐसे प्रकरणों में भू-अर्जन अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की गई। कुल निजी भूमि के मात्र 17.5 प्रतिशत भूमि भू-अर्जन अधिनियम के अंतर्गत अर्जित की गई। भू-अर्जन में 1660 खातेदारों से 1062 हेक्टेयर भूमि अर्जित की गई। खातेदारों की संख्या एवं हेक्टेयर का अनुपात दोनों स्थिति में 80 प्रतिशत से अधिक खातेदार का भूमि सहमति से प्राप्त हुई है। भू-अर्जन के 1039 खातेदारों के 70 प्रकरणों में भू-अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 11 के अंतर्गत अवार्ड दिसम्बर 2013 के पूर्व पारित किया गया था तथा उन्हें प्रचलित गाईडलाईन के आधार पर 30 प्रतिशत अतिरिक्त सोलेशियम के साथ मुआवजा दिया गया। इस बात को विशेष रूप से किसानों को बताया जाना चाहिए कि आपसी सहमति के विशेष पैकेज की दर का प्रभाव गाईडलाईन दर पर रहा है।


ग्राम बरौदा के मुख्य मार्ग की उदाहरण का आंकलन करें तो वर्ष 2007-08 में गाईडलाईन दर 6.18 लाख प्रति हेक्टेयर थी, जो 70 प्रतिशत वृद्धि के साथ वर्ष 2008-09 में 10.76 लाख हुई, वर्ष 2009-10 में 25 प्रतिशत वृद्धि (13.45 लाख प्रति हेक्टेयर), अगले वर्ष 2010-11 में 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ 14.75 लाख प्रति हेक्टेयर वर्ष 2011-12 में 50 प्रतिशत वृद्धि के साथ 22 लाख प्रति हेक्टेयर और वर्ष 2012-13 में 40 प्रतिशत वृद्धि के साथ 31 लाख प्रति हेक्टेयर था। बरौदा ग्राम के ही सिंचित भूमि का आंकलन करते हैं तो वर्ष 2008-09 में 7.12 लाख प्रति हेक्टेयर वर्ष 2010-11 में 14. 75 लाख प्रति हेक्टेयर, अतः वर्ष 2012-13 में 25 लाख प्रति हेक्टेयर दर थी, जोकि 5 वर्ष में 3.5 गुणा हुई। इसी प्रकार असिंचित भूमि वर्ष 2008-09 में 5.61 लाख की गाईडलाईन दर वर्ष 2012-13 में 20 लाख तक पहुंची, जोकि 4 गुना है। अर्थात भू-अर्जन के किसानों को भी आपसी सहमति के दर का लाभ गाईडलाईन के दरों में वृद्धि के तौर पर प्राप्त हुआ है। ग्राम बरौदा जैसे ही स्थिति अन्य ग्रामों में भी रही है।


भू-अर्जन के 39 प्रकरणों में धारा 4 का प्रकाशन 2013 के अधिनियम से पूर्व हुआ था तथा धारा 11 का प्रकाशन अधिनियम 2013 के लागू के बाद किया गया। इन सभी प्रकरणों में 2013 के अधिनियम के अनुसार गणना की गई, जिसमें उन्हें गाईडलाईन मूल्य के साथ 100 प्रतिशत सोलेशियम दिया गया। अतः उन्हें प्रत्यक्ष रूप से गाईडलाईन के दो गुना तथा वर्ष 2007-08 के मूल प्रचलित गाईडलाईन के कई गुणा अधिक मुआवजा दिया जा चुका है। राज्य में तथा देश में इस प्रकार से गाईडलाईन में इतने कम समय में इतनी बढ़ोत्तरी शायद ही किसी जगह में हुई होगी।

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