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रूस अगर यूक्रेन पर हमला करेगा तो भारत को क्या नुकसान होगा?

  भारत रूस का साथ देता है तो अमेरिका नाराज हो जाएगा और यूक्रेन के पक्ष में खड़े अमेरिका का साथ देता है तो रूस नाराज हो जाएगा. भारत न तो अमेर...

 


भारत रूस का साथ देता है तो अमेरिका नाराज हो जाएगा और यूक्रेन के पक्ष में खड़े अमेरिका का साथ देता है तो रूस नाराज हो जाएगा. भारत न तो अमेरिका को नाराज करना चाहेगा और न ही रूस को.


रूस और यूक्रेन के बीच तनाव (Russia-Ukraine Tensions) जारी है और इसके चलते दोनों देशों के बीच जंग के हालात बने हुए हैं. हालांकि, रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) की सीमा से कुछ सैनिकों को पीछे किया है और मौजूदा हालात थोड़े से तनावमुक्त होते हुए दिख रहे हैं. लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में सीमा पर सैनिकों की तैनाती है. यूरोप (Europe) में जारी इस युद्ध संकट के बीच यूक्रेन पर साइबर अटैक भी हुआ है. इधर अमेरिका का कहना है कि युद्ध अभी भी संभावित है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) का कहना है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की आशंका अब भी बनी हुई है और इस हमले का निर्णायक जवाब देने के लिए अमेरिका तैयार है.


दुनिया के तमाम देश सशंकित हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होकर रहेगा. अमेरिका के अलावा यूरोप के कई देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं तो कई देश रूस के साथ भी खड़े हैं. अगर यूक्रेन और रूस में युद्ध हुआ तो स्थितियां भयावह होंगी और तीसरे विश्वयुद्ध की भी संभावना बन सकती है. ऐसे में बहुत सारे देश चाहते हैं कि युद्ध नहीं हो. भारत भी चाहता है कि रूस और यूक्रेन के बीच ये तनाव खत्म हो.


भारत नहीं चाहता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध हो. यूक्रेन में रह रहे भारतीयों के वापस लौटने को लेकर भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. सरकार ने कहा है कि अगर यूक्रेन में रहना बहुत जरूरी न हो तो यूक्रेन से वापस लौट आएं. सवाल ये है कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो भारत को कौन से नुकसान झेलने पड़ सकते हैं.


भारत का धर्मसंकट!

एक तरफ रूस है तो दूसरी ओर यूक्रेन के साथ अमेरिका है. अमेरिका, यूरोप के कई देश और नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के सदस्य देश रूस के खिलाफ हैं. अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पीएचडी कर चुके मीडिया शिक्षक डॉ निरंजन कुमार बताते हैं कि भारत के साथ धर्मसंकट ये है कि दोनों ही देशों के साथ इसके संबंध प्रगाढ़ हैं. वहीं यूक्रेन के पक्ष में खड़े यूरोपीय देशों के साथ भी भारत के अच्छे संबंध हैं और भारत के अहम भागीदारों में उन देशों की गिनती होती है.


अपने पंचशील सिद्धांतों को मानने वाला भारत आपसी विवाद में अमूमन दखल नहीं ही देता है. ऐसे में दिक्कत ये भी है कि भारत रूस का साथ देता है तो अमेरिका नाराज हो जाएगा और यूक्रेन के पक्ष में खड़े अमेरिका का साथ देता है तो रूस नाराज हो जाएगा. भारत न तो अमेरिका को नाराज करना चाहेगा और न ही रूस को. आज भी भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर रूस ही है.


व्‍यापारिक असर

भारत रूस से डिफेंस पार्टनरशिप मिशन के तहत S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है. भारत उम्मीद जता रहा है कि इससे अमेरिका को आपत्ति नहीं होगी. हालांकि साल 2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे तो रूस पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगा था. प्रतिक्रियास्वरूप वर्ष 2017 में अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरिज थ्रू सैंक्शन एक्ट पास किया गया था, जिसके मुताबिक अमेरिका रूस से सैन्य उपकरण खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है. 2018 में हुई डील के मुताबिक, भारत तो हर हाल में रूस से एस-400 खरीदेगा. ऐसे में यूक्रेन संग रूस को जो तनातनी बढ़ी है, उस वजह से अमेरिका भारत पर कड़े प्रतिबंध लगा सकता है.


रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो यूरोपियन कंट्रीज को इस बात की चिंता है कि रूस तेल और गैस की आपूर्ति बंद कर देगा, कीमतें बढ़ा देगा. रूस-यूक्रेन तनाव के बीच बीते एक महीने में तेल की कीमतों में 14 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. आशंका जताई जा रही है कि स्थितियां नियंत्रित नहीं हुईं तो तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है और ऐसे में भारत पर भी इसका व्यापक असर पड़ सकता है.


भारत की बड़ी चिंता!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन में 20,000 से अधिक भारतीय नागरिक हैं. इनमें ज्यादातर मेडिकल स्टूडेंट्स हैं. वहीं आईटी, फार्मा और इंजीनियरिंग सेक्टर में बड़ी संख्या में लोग वहां जॉब कर रहे हैं. भारत की बड़ी चिंता अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर है. रूस यदि यूक्रेन में दखल देता है तो युद्ध से पैदा होने वाली परिस्थितियों में भारतीय भी फंसेंगे. इसी को लेकर भारत ने एडवाइजरी जारी की है कि भारतीय नागरिक यूक्रेन से यथासंभव वापस लौटें.


कूटनीतिक नफा-नुकसान

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की बात करें तो भारत खुद भी दगाबाज दुश्मन देशों से घिरा है. एक तरफ नापाक इरादों वाला देश पाकिस्तान है तो दूसरी ओर चालबाज चीन. वहीं नेपाल के साथ भी कुछ बिंदुओं पर विवाद चल ही रहा है. खासकर लद्दाख और कश्मीर भारत के सबसे संवेदनशील हिस्से हैं, जहां पाकिस्तान-चीन जैसे देशों से चुनौती है. ऐसे में अमेरिकी सपोर्ट वाले यूक्रेन और रूस में से भारत अगर किसी एक पक्ष को नाराज करता है तो कूटनीतिक स्तर पर इसका फायदा चीन को मिल सकता है. ऐसे में भारत अपने पंचशील सिद्धांतो पर ही टिका रहना चाहेगा. हालांकि फिलहाल भारत की सबसे बड़ी चिंता, यूक्रेन में रह रहे भारतीयों की जल्द वापसी कराने को लेकर है. क्योंकि अगर युद्ध हुआ तो रेस्क्यू कर पाना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होगा.

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