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संविधान के छत्रछाया में सात दशकों तक सर्वांगीण विकास हुआ, सभी के हितों की सुरक्षा की गई : राज्यपाल उइके

  छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में 73 वें गणतंत्र दिवस के अवसर आयोजित मुख्य सम...

 


छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में 73 वें गणतंत्र दिवस के अवसर आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी। साथ ही राष्ट्रीय ध्वज एवं राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उइके ने आसमान में तिरंगे के गुब्बारे भी छोड़े। इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन और डीजीपी अशोक जुनेजा उपस्थित थे।


इस गार्ड ऑफ ऑनर में बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, छसबल पुरूष, छसबल महिला, नगर सेना पुरूष, नगर सेना महिला, बैंड के प्लाटून शामिल थे। परेड का नेतृत्व परिवीक्षाधीन भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी स्मृतिक राजनाला ने किया। सेकंड ऑफिसर इन कमांड के रूप में परिवीक्षाधीन भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विकास कुमार थे।


राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि इसी दिन 26 जनवरी 1950 को हमारा गौरवशाली संविधान लागू हुआ था। इसी महान दिन हम भारत के लोगों को अधिकारों की शक्ति मिली थी। इस तरह यह दिन प्रत्येक भारतवासी को अपनी पहचान मिलने का दिन है। इस अवसर पर मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करती हूं।

हमारे प्रधानमंत्री जी की पहल पर स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण करने के लिए हम आजादी का अमृत महोत्सव पर्व मना रहे हैं जिसमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण कर रहे हैं।



उन्होंने कहा कि नवनिर्माण का पहला सोपान देश को मिली आजादी थी, इसलिए सबसे पहले मैं आजादी दिलाने वाले समस्त महान योद्धाओं को नमन करती हूं। मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के माध्यम से उस पूरी पीढ़ी का पावन स्मरण करती हूं जिन्होंने आजाद देश के लिए नए संविधान और विकास की नई दिशाओं की बुनियाद रखी।

राज्यपाल ने कहा-हमारा संविधान कहता है कि प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता है। सभी को प्रतिष्ठा और अवसर की समानता का अधिकार है। मैं बड़े ही गर्व के साथ यह कहती हूं कि हमारे संविधान की छत्र-छाया में हमने जिस तरह सात दशकों तक अपने हितों की सुरक्षा पाई, सर्वांगीण विकास किया, भविष्य में भी इसकी छत्र-छाया में हम निरंतर आगे बढ़ेंगे।

सुश्री उइके ने कहा कि मेरे प्रिय छत्तीसगढ़वासियों, मैं आप लोगों की प्रतिभा, लगन, निष्ठा, संघर्ष करने की क्षमता और विपरीत परिस्थितियों में भी जीतने की दृढ़ इच्छा-शक्ति से अभिभूत हूं। कोरोना महामारी के लंबे दौर में भी आप लोग मेरी सरकार के कदम से कदम मिलाकर चलते रहे और विश्वव्यापी निराशा के वक्त भी राज्य में आशा के दीपक जलाते रहे। ऐसे संकट के समय राहत और रोजगार के कारगर उपाय करना मेरी सरकार का सबसे बड़ा काम है और मुझे खुशी है कि मेरी सरकार ने अपनी भूमिका का निर्वाह पूरी संवेदनशीलता के साथ करने का प्रयास किया है।  

संतोष का विषय है कि छत्तीसगढ़ में कृषि के साथ ग्रामीण और वन अंचलों में नए-नए रोजगार के अवसरों की अलख जगाई गई। मेरी सरकार की आकर्षक नीतियों और योजनाओं के कारण परम्परागत किसान और उनकी नई पीढ़ी अब फिर बड़े पैमाने पर खेती-किसानी के काम से जुड़े हैं। सरकारी, अर्द्धसरकारी, औद्योगिक तथा निजी क्षेत्र के दरवाजे नौकरी, रोजगार, स्वरोजगार के लिए खुले।

उन्होंने कहा कि उद्योग तथा कारोबार के क्षेत्र में भी अनेक रियायतें दी गईं। जन-सामान्य को भी अनेक तरह की आर्थिक राहत देकर उनकी क्रय शक्ति बढ़ाई गई। इस तरह से प्रदेश में अर्थव्यवस्था को संभाला गया जिसके कारण हर स्तर पर मनोबल मजबूत हुआ। इन प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर तीन साल में दूसरी बार 2 प्रतिशत के निकट पहुंची है। पहले छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से अधिक थी जिसमें 20 प्रतिशत की गिरावट आना बहुत ही सुखद संकेत है।

उन्होंने कहा कि धान उत्पादक किसानों को संबल देकर छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभाई है। विगत वर्ष 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का कीर्तिमान बनाया गया था। दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण, इस वर्ष फिर राज्य सरकार एक नया कीर्तिमान रचने की ओर बढ़ रही है। धान के समर्थन मूल्य के अलावा ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत अनुदान सहायता का लाभ भी दो वर्षों से दिया जा रहा है। इस योजना के दायरे में धान, गन्ना, मक्का, दलहन, तिलहन, सुगंधित फोर्टिफाइड धान, उद्यानिकी के अलावा कोदो, कुटकी और रागी जैसी लघु धान्य फसलों को भी शामिल किया गया है।

सुश्री उइके ने कहा कि लघु धान्य फसलों की खरीदी की व्यवस्था पहले अनुसूचित क्षेत्रों में की गई थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर पूरे प्रदेश में समस्त प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगी। छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जिसने इन उपजों के लिए समर्थन मूल्यों की घोषणा की है। उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन का काम बेहतर ढंग से करने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ का गठन सराहनीय पहल है। इस तरह प्रदेश में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का एक नया अध्याय शुरू हो गया है।  

उन्होंने कहा कि जंगल पर स्थानीय लोगों के हक को मेरी सरकार ने वनोपज से होने वाली आय से जोड़ दिया है। पहले मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी की जाती थी, जिसे बढ़ाकर 61 कर दिया गया है, वहीं 17 वनोपजों के संग्रहण अथवा समर्थन मूल्य में वृद्धि भी की गई है। इस तरह छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों से संग्रह और इससे आदिवासियों को होने वाली आय के हिसाब से भी देश में अव्वल राज्य बन गया है।


प्रदेश के 14 आदिवासी बहुल जिलों के 25 विकासखण्डों में 1 हजार 742 करोड़ रुपए की लागत से ‘चिराग’ परियोजना स्वीकृत की गई है। इससे आदिवासी अंचल के कृषकों की कृषि आय में बढ़ोत्तरी, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता के साथ ही साथ कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन से किसानों को बहुआयामी लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए मेरी सरकार ने दीर्घकालीन संस्थागत उपायों पर भी जोर दिया है ताकि इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों की निरंतरता बनी रहे। उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ‘छत्तीसगढ़ शाकम्भरी बोर्ड’ का गठन किया गया है। चाय तथा कॉफी की खेती तथा प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए ‘छत्तीसगढ़ टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उच्च स्तरीय फाइटोसेनेटरी लैब की स्थापना की गई है। लाख उत्पादन तथा मछली पालन को कृषि का दर्जा देने से इस काम में लगे लोगों को कृषि के समान विद्युत दर, सुलभ ऋण, जल आपूर्ति आदि सुविधाएं मिलेंगी।  

सुश्री उइके ने कहा कि नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी के संरक्षण और विकास की योजनाओं को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। मिट्टी सुधार, भू-जल संवर्धन, जैविक खेती, पशुधन पालन, गांवों में पौष्टिक साग-भाजी तथा फलों की पैदावार में वृद्धि जैसे अनेक प्रयासों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती में सुराजी गांव योजना का महत्वपूर्ण योगदान दर्ज हुआ है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का भुगतान 122 करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है।

राज्यपाल ने कहा कि खाद समस्या के समाधान की दिशा में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण बड़ी भूमिका निभा रहा है। बड़ी संख्या में गौठान आत्मनिर्भर हो रहे हैं। गोबर से नए-नए उत्पादों, प्राकृतिक पेंट और बिजली उत्पादन का प्रयोग भी सफल हुआ है। इससे भूमिहीन तथा साधनहीन परिवारों को रोजगार के नए साधन मिल रहे हैं। इस काम को आगे बढ़ाने के लिए ‘गोधन न्याय मिशन’ का गठन किया गया है और गौठानों का दायरा बढ़ाते हुए ‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क’ विकसित करने की कार्यवाही की जा रही है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में श्रमिकों के सम्मान और स्वावलंबन के लिए अनेक नई योजनाएं लागू की गई हैं। ‘राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए देने की घोषणा पर अमल गणतंत्र दिवस के तत्काल पश्चात किया जा रहा है। इस योजना की पहली किस्त 1 फरवरी को प्रदान की जाएगी। इसमें शामिल परिवारों को बधाई और शुभकामनाएं प्रदान करती हूं।

 उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के वक्त प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए विशेष व्यवस्थाएं करने का वादा मेरी राज्य सरकार ने किया था, जिसे निभाते हुए ‘छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति 2020’ अधिसूचित कर दी गई है। इसके अंतर्गत राज्य स्तरीय मुख्यमंत्री हेल्पलाइन सेंटर का संचालन, ऑनलाइन पंजीयन पंजी का संधारण, विकासखण्ड स्तर पर श्रमिक संसाधन केन्द्र एवं प्रवासी सुविधा केन्द्र का प्रावधान है। 79 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिकों का पंजीयन किया जा चुका है।

राज्यपाल ने कहा कि गौरव का विषय है कि भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ को ई-श्रमिक सेवा के लिए गोल्ड अवार्ड से नवाजा गया है। प्रदेश में पंजीकृत श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का पारदर्शी तरीके से लाभ ऑनलाइन तथा डिजिटल माध्यमों से दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ को यह उपलब्धि हासिल हुई है।  

शासन-प्रशासन की नीतियों, योजनाओं और जनहितकारी सुविधाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए बड़ी इकाइयों का पुनर्गठन करना बहुत कारगर उपाय माना जाता है। राज्य सरकार ने चार नए जिलों के गठन की घोषणा को अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त चार अनुभाग तथा 29 नई तहसीलों का गठन कर दिया है।

उन्होंने कहा कि अधोसंरचना निर्माण के लिए मेरी सरकार ने बहुआयामी प्रयास किए हैं। सड़क अधोसंरचना के विकास के लिए राज्य में 24 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत की कार्ययोजना बनाकर अमल में लाई जा रही है। राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में लगभग 16 हजार करोड़ रुपए तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में लगभग 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत विगत 3 वर्षों में 8 हजार 980 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया। 8 नक्सल प्रभावित जिलों में 4 हजार 472 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं, जो अपने आप में एक अतुलनीय उपलब्धि है। योजना के तृतीय चरण के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 5 हजार 612 किलोमीटर की स्वीकृति प्राप्त करते हुए छत्तीसगढ़ प्रथम स्थान पर रहा, जिसमें अब तक 4 हजार 313 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। संधारण कार्यों हेतु तैयार ई-मार्ग पोर्टल से मॉनीटरिंग में भी मेरे छत्तीसगढ़ प्रदेश को देश में प्रथम स्थान मिला है।


उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ में आम जनता का सशक्तीकरण, समृद्धि और खुशहाली तेजी से बढ़ रही है। माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण करने का संकल्प पूरा किया गया है। साथ ही राम वन गमन पथ के विकास का काम तेजी से किया जा रहा है। यह इस बात का प्रतीक है कि मेरी सरकार लोक आस्थाओं के सम्मान के साथ विकास का नाता जोड़ रही है।

राज्यपाल ने कहा कि हमारे संविधान और गणतंत्र की मूल भावना के सम्मान की वजह से छत्तीसगढ़ राज्य और यहां के समस्त निवासियों का भविष्य उज्ज्वल है। आइए हम सब मिलकर प्रदेश में शांति, सद्भाव और विकास के नए कीर्तिमान रचने का संकल्प दुहराएं।

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