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केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल अपनी ही सरकार पर बरसे , बोले- आरक्षण के नाम पर OBC को आग में न झोंको

 छिंदवाड़ा: ओबीसी आरक्षण पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण...



 छिंदवाड़ा: ओबीसी आरक्षण पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण पर ठीक से पक्ष नहीं रखा. छिंदवाड़ा पहुंचे केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने ओबीसी आरक्षण को लेकर मीडिया को बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर पिछड़ों के नाम पर सबको मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी. पिछड़ों के नाम पर उन्हें आग में मत झोंकिए. मैं पिछड़ों की लड़ाई लड़ता हूं और अच्छे से समझता हूं.


छिंदवाड़ा में अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित स्वास्थ्य शिविर में भाग लेने पहुंचे केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते एवं प्रहलाद पटेल ने रेस्ट हाउस में पत्रकार वार्ता की. इस दौरान दौरान ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर प्रहलाद पटे ने अपनी बात रखी. उन्होंने राज्य सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा. कहा कि आप यदि मध्यप्रदेश के घटनाक्रम को देखेंगे तो 2009 में न्यायालय ने कहा था कि आप आयोग के थ्रू अपने रास्ते को तय कीजिए, दुर्भाग्य से वह चीजें यहां नहीं हो पाईं, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर आयोग नहीं रहा होगा, लेकिन उस समय राज्य में बन सकता था, या नहीं बन सकता था. यह विवाद का विषय हो सकता है, लेकिन जो कोर्ट ने कहा उसका यह कारण हो सकता है.


बिहार चुनाव में आरक्षण है, उन्होंने कहा कि देश की संसद में नौकरियों में 27% आरक्षण की बात कही, लेकिन निर्वाचन में यह होगा कि नहीं क्लियर नहीं है. राज्य चुनाव के बीच ओबीसी आरक्षण को लेकर सदन में जाकर भारत सरकार से पूछना था या फिर सुप्रीम कोर्ट में जाना था, पर वो सुप्रीम कोर्ट में इसलिए नहीं पूछ सकते थे, क्योंकि 2009 में कोर्ट कह चुका था कि आपको इस पर काम करना चाहिए, तो बिना कागज देखे जब भी हम कोई फैसला करेंगे तो यह कॉम्प्लिकेशन होगा. 

मीडिया से प्रहलाद पटेल बोले कि पिछड़ों के नाम पर उन्हें आग में मत झोंकिए. मैं पिछड़ों की लड़ाई लड़ता हूं और अच्छे से समझता हूं. मेडिकल की काउंसलिंग रुकी हुई है. यूपीएससी के रिजल्ट रुके हुए हैं. मुझे लगता है कि हमें फास्टट्रैक पर जाकर काम करने कि जरूरत है. बेहतर होगा कि हम एक साथ मिलकर तरीके से न्यायालय के पास जाएं या फिर संसद में जाएं तीसरा कोई रास्ता नहीं है.

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