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"निमोनिया नहीं तो बचपन सही" के उद्देश्य के साथ ‘सांस’ अभियान के माध्यम से शून्य से पांच वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य का रखा जाएगा विशेष ध्यान : टी एस बाबा

  स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने  विश्व निमोनिया दिवस पर प्रदेश में ‘सांस’ अभियान (Social Awareness and Action to Neutralise Pneumonia ...

 


स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने  विश्व निमोनिया दिवस पर प्रदेश में ‘सांस’ अभियान (Social Awareness and Action to Neutralise Pneumonia Successfully) का शुभारंभ किया। कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए 12 नवम्बर से 28 फरवरी 2022 तक ‘सांस’ अभियान संचालित किया जा रहा है। श्री सिंहदेव ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का भी शुभारंभ किया। “Safety, Quality and Nurturing Care - Birth Right of Every Newborn" की थीम के साथ 15 नवम्बर से 21 नवम्बर 2021 तक यह सप्ताह मनाया जाएगा। नवजात शिशुओं की उत्तरजीविता एवं विकास (Growth & Development) की आवश्यकता के बारे में जन-जागरूकता लाने एवं संस्थागत व सामुदायिक स्तर पर नवजात शिशुओं की देखभाल की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करने राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। वर्चुअल शुभारंभ कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए।



स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने ‘सांस’ अभियान और राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का शुभारंभ करते हुए कहा कि नवजात बच्चों में निमोनिया के प्रति जन-जागरूकता जरूरी है। नवजातों में प्रसव के दौरान इन्फेक्शन की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। उन्होंने कहा कि देश में 14 प्रतिशत नवजातों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। हमें इस पर गंभीरता से कार्य करने की आवश्यता है। उन्होंने बताया कि बच्चों में निमोनिया की रोकथाम के लिए इस साल से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में पीसीवी (न्यूमोकोकल कॉन्ज्युगेट वैक्सीन) को भी शामिल किया गया है। इसकी तीन खुराक बच्चों को क्रमशः छह सप्ताह, 14 सप्ताह और नौ महीने की आयु में निःशुल्क दी जा रही है।  


मंत्री सिंहदेव ने कहा कि नवजात शिशुओं की अच्छी सेहत के लिए हम सभी को मिलकर और गंभीरता से काम करना है। हमारा लक्ष्य अगले एक वर्ष में शिशु मृत्यु दर (IMR) को 50 प्रतिशत तक कम करना है। वर्तमान में यह दर 40 प्रतिशत है जिसे एक साल में हमें 20 प्रतिशत पर लाना है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और डॉक्टरों को मातृ मृत्यु दर (MMR) में कमी लाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने कहा।


"निमोनिया नहीं तो बचपन सही" के उद्देश्य के साथ ‘सांस’ अभियान के माध्यम से शून्य से पांच वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाएगा। बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत निमोनिया के प्रति समाज में जन-जागरूकता तथा इसके गंभीर प्रकरणों का स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें राज्य के लगभग 35 लाख बच्चे लाभान्वित होंगे। राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के दौरान सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नवजातों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। जिला अस्पतालों की ओ.पी.डी. में नवजात बच्चों के स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की जाएगी। प्रदेश के सभी एसएनसीयू, एनबीएसयू और एनबीसीसी के गुणवत्तापूर्ण संचालन पर भी जोर दिया जाएगा।



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